महाशिवरात्रि भारत और अन्य देशों में कैसे – कैसे मनाई जाती है और इसका समुद्र मंथन जो इसकी पौराणिक शिकारी कथा है, उसका और भगवान शिव की अन्य पारंपरिक पूजन का कैसे किया जाता है और भारत के विभिन्न क्षेत्रफल कैसे मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का यह त्यौहार और अन्य देशों में जैसे बांग्लादेश नेपाल में इनका कैसे प्रचलन है। कैसे मनाया जाता है। यह हम सब जानेंगे। इसके अंदर तो अगर आप जानना चाहते हो। अधिक और डिटेल के लिए तो हमारा वेबसाइट पर बहुत सारी चीज जो किया अनेक पर्व के बारे में कोट्स।
समुद्र मंथन –
समुद्र मंथन अमृत का उत्पादन करना ही इसका मतलब है, लेकिन इसके साथ ही हलाहल नमक विश्व भी पैदा होता है। हल विश्व में ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता थी। इसीलिए केवल भगवान शिव इसे नष्ट कर सकते थे। भगवान शिव ने हलाहल विश्व को अपने शरीर के अंदर पिया और सभी प्राणियों की रक्षा की इस कारण भगवान शिव को।सबसे बड़ा देवता माना जाता है और उनका करंट गला पीने से नीला पड़ गया था इसलिए उन्हें नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है।भगवान शिव का आशीर्वाद सबके ऊपर बना रहता है और शिवरात्रि इस घटना का एक उत्सव है जिससे शिव की दुनिया जिसे शिव को दुनिया से बचाया था तब से इस दिन भक्त उपवास करते हैं।
शिकारी की कथा –
इसके अंदर एक बार पार्वती जी ने अपने भगवान शिव शंकर से पूछा, ऐसा कौन सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत पूजन है जिससे मृत्यु लोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं। उत्तर में शिव जी ने पार्वती को शिवरात्रि के व्रत का विधान बढ़कर एक कथा सुनाइए। एक बार चित्र भानु नामक एक शिकारी था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुप्पम को पालता था। वह एक बार वह साहूकार करनी था, लेकिन उसका कारण समय पर नहीं चूक सका। इसलिए साहूकार ने क्रोधित होकर।क्रोधित होकर शिव मैथ में। शिकारी को सीमेंट में बंदी बना लिया और सहयोग से उसी दिन शिवरात्रि थी।कारी ध्यान मग्न होकर शिव संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिव व्रत की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और रख चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा रन लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपने दिनचर्या की भारतीय जंगल में शिकार के लिए निकला लेकिन दिन भर बेदिका ग्रह से रहने के कारण भूख प्यास से व्याकुल था, लेकिन शिकारी का तालाब किनारे बेल वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल वर्कशीट शिवलिंग था जो विप्लव पन्नों पत्तों।बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था और वह बहुत सारे शब्दों से ढका हुआ था। शिकारी को यह बात पता नहीं थी। पढ़ाओ बनाते समय उसने टहनियां तोड़ीं वृक्ष से और वहां पड़े हुए आसपास इकट्ठा किया और सहयोग से शिवलिंग पर उसकी नजर गिरी।
इस दिन प्रकार दिनभर भूखे पैसे कार्य ने व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ा दिए। एक पहर रात्रि बीत जाने के बाद ग्रहणी मारेगी। तालाब पर पानी पीने पहुंची। मैं गर्भवती हूं। शीघ्र ही मेरा बच्चा होने वाला है। तुम एक साथ दो जीवन की हत्या। तुम एक साथ दो बच्चों की हत्या करोगे जो की ठीक नहीं है।मैं बच्चों को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी। तब मार लेना शिकारी की पत्नी जारी कर दी और उसने मुर्गी को झाड़ियां में विलुप्त कर दिया। कुछ ही देर बाद एक और मारेगी। उधर से निकली शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना में रहा। समीप आने पर उसने धनुष पांडे। तब उसे देख ने मित्रता पूर्ण निवेदन किया की है। पार्वती मैं थोड़ी देर पहले रितु से निवृत्ति हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शिकारी तुम्हारे पास आ जाऊंगी शिकारी ने उसे। तो शिकारी ने उसे भी जाने दिया।दो बार शिकारी को खोकर उसका माता-पिता उसे गुस्सा आया। वह चिंता में पड़ गया की आधी रात बीत चुकी है। अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है। तभी एक अन्य हिरनी वहां पर बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए स्वर्णिम अवसर और किया था। उसे धनुष पर जैसे चढ़ने में देर नहीं लगे। वह तीर छोड़ते ही वाला था। उनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे शिकार शिकारी भाषा और बोला सामने आई शिकार को छोड़ दूं। मैं ऐसा बोर तो हूं। शिकार छोड़ दूं मैं ऐसा मूर्ख नहीं हूं। इससे पहले भी मैं दो बार शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूखे प्यार से तड़प रहे होंगे। उत्तर में फिर कहा जैसे तुम्हारे बच्चे बच्चों की ममता सता रही है।
ठीक वैसे ही मुझे भी इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवन धाम मांग रही हूं ही पार्टी मेरा विश्वास करना। मैं इनके पिता के पास छोड़कर तुम्हारे पास जल्दी ही आ जाऊंगी। हिंदी में दिन कर सुनकर शिकारी उसे पर दया आ गई। उसने उसे हिरनी को जाने दिया। शिकार का अभाव में बेल वृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़ तोड़ कर नीचे फेंकता जा रहा था। वह फटने को हुई तो एक हस्त पोस्टमार्ग। एक हस्त पुष्य हिरणी उसके रास्ते में आई।लेकिन इस बार हिरनी नहीं ईरान आय वर्ग शिकारी ने सोच लिया कि अब इसका सेवर अवश्य करेगा। उनके छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है तो मुझे भी करने में विलंब ना करो ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुख में हो और सहना पड़ेगा। मैं मुर्गियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवन नाम दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण के लिए जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे पास समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा। यह बातें सुनकर शिकारी के सामने पूरी रात घटना चक्र ऐसी चला रहा। उसमें सारी कथा वर्ग को सुना दी। तब करने कहा मेरी तीन पत्नियों जिस प्रकार प्रतिबद्ध होकर गई है, मेरी मृत्यु में उनके धर्म का पालन नहीं कर पाएगी। अतः मैं तुमसे उन्हें विश्वास पातर मन कर छोड़ा है। वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सब के साथ तुम्हारे सामने से गिरी उपस्थित होता हूं और उपवास रात्रि जागरण और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से शिकारी हिंसक हृदय निर्मल हो गया। उसने भगवान से भागवत शक्ति का वास हो गया। धुन से बाद को उसके हाथ से सहायजी छूट गया। भगवान शिव की अनुकंपा से उसका हिंसक हृदय। हिंसा कर दे करुणा से भर गया और वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पछता रहा था। थोड़ी देर बाद वह मार्ग से परिवार शिकारी किस्मक उपस्थित हुआ है। उनका शिकार कर सके किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता सात्विक और सामूहिक प्रेम भाव देखकर शिकारी की बड़ी ग्लानि हुई। उसने मित्रों से आंसू जलने लगी के परिवार में शिकारी को अपने कठोर हृदय से जीव हिंसा को हटाकर सदा के लिए कोमल हो गया और इस घटना का वर्णन होते ही देवी देवताओं ने उसे वर्ष की तभी शिकारी था। मार्ग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए इस प्रकार से कहानी आती है ये वाली। Read More Hindu Festival Update
भगवान शिव की अन्य पारंपरिक पूजा 12 ज्योतिर्लिंग –
भगवान शिव की अन्य पारंपरिक पूजा 12 ज्योतिर्लिंग है। भारत के अंदर जो पूजा के लिए भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थल और केंद्र भी हैं, वह सब भगवान शिव जिसका अर्थ है। शंभू यानी कि उत्पन्न 12 स्थान पर 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित किए गए हैं जो कि नीचे दिए गए हैं।
1- सोमनाथ का शिवलिंग जो गुजरात के काठियावाड़ में है।
2- श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में है जो की कृष्णा नदी के किनारे स्थित है और श्री सेल मल्लिकार्जुन शिवलिंग के नाम से जाना जाता है।
3- महाकाल उज्जैन की उज्जैन में स्थित है। अवंती नगरी में उपस्थित महाकालेश्वर शिवलिंग है जहां शिवजी ने दैत्य का नाश किया था।
4- ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के अंदर जो की ओमकार में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। इसमें विभिन्न की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदान में जो प्रकट हुआ थे शिव जी उनकी मूर्तियों पर।
5- नागेश्वर गुजरात में द्वारिका धाम के निकट ही नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है
6- बैजनाथ जोज झारखंड में बैजनाथ धाम में स्थित शिवलिंग है।
7- भीमाशंकर जो कि महाराष्ट्र में बीमा नदी के किनारे स्थित है। भीम शंकर ज्योतिर्लिंग है।
8- त्रंबकेश्वर नाशिक जो कि महाराष्ट्र में आता है। महाराष्ट्र से 25 किलोमीटर दूर त्रयंबकेश्वर में स्थित ज्योतिर्लिंग है।
9- गणेश्वर महाराष्ट्र जो की औरंगाबाद जिले में एक एलोवेरा की गुफा के समीप वेसल गांव में गणेश्वर ज्योतिर्लिंग है।
10-केदारनाथ जो हिमाचल में बहुत ही बर्फीले इलाकों में ढका हुआ है। हरिद्वार से डेढ़ सौ मील की दूरी पर है।
11- काशी विश्वनाथ जो कि बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग है।
12- रामेश्वरम पाली मद्रास में समुद्र तल पर भगवान श्री राम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है।
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भारत में शिवरात्रि कैसे मनाई जाती है?
मध्य भारत में शिव भक्त बड़ी संख्या में महाकालेश्वर में उज्जैन के अंदर जाते हैं और वहां पर शिव भक्तों का वर्ष पर मेल पड़ता है। लेकिन शिवरात्रि पर बहुत ज्यादा मेल पड़ता है। इस कारण से वहां पर बहुत ज्यादा पूजा अर्चना होती है और वह ज्यादा संख्या में भक्त आते हैं और आगे आता है। जबलपुर के तिलवाड़ा घाट नामक दो अन्य स्थान भी है जहां पर बड़े धार्मिक उत्साह के साथ शिवरात्रि मनाया जाता है। दामोल जिले के बांदकपुर धाम में इन दोनों लाखों लोगों का बसा हुआ है। वहां पर भीड़ पड़ती है बहुत ज्यादा!
कश्मीर: कश्मीर में ब्राह्मण के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार यही है। यह शिव और पार्वती के विवाह के रूप में हर घर में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के उत्सव के तीन-चार दिन पहले यह शुरू होकर हो जाता है और 2 दिन बाद तक ज्यादातर यानी कि यह चलता है। 15 से 20 दिन के समथिंग बहुत शानदार मेला भरता है। यहां पर हर घर में विवाह की तरह कार्यक्रम होता है।
दक्षिण भारत: महाशिवरात्रि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु और अन्य दक्षिण के राज्य जहां पर मंदिरों की व्यापक रूप से व्यवस्था है। मतलब की बहुत ही शानदार शानदार मंदिर बने हुए जहां पर भगवान शिव की पूजा की जाती है और अच्छे से भीड़ भी पड़ती है।
बांग्लादेश में शिवरात्रि कैसे मनाई जाती है?
बांग्लादेश में हिंदू महाशिवरात्रि भी मानते हैं। वे भगवान शिव को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखते हैं। हिंदू इस खास दिन को जाते हैं। एक गांव पड़ता गांव वहां जाते हैं। बांग्लादेशी हिंदुओं के मानता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से स्त्री पुरुष को अच्छा पति या पत्नी मिलता है। इस वजह से यहां पर प्रसिद्ध खालसा मंदिर खास प्रसिद्ध पर्व है। वहां पर मानते हैं।
नेपाल में महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं?
नेपाल पशुपतिनाथ में महाशिवरात्रि का मंदिर कैसे मनाते हैं? महाशिवरात्रि को नेपाल में विशेष रूप से पशुपति नाथ मंदिर में व्यापक रूप से मनाया जाता है। बहुत ज्यादा व्यवस्था है। काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर है। जहां पर भक्त जनों की बहुत संख्या में भीड़ पड़ती है। भारत में विश्व के विभिन्न भागों से जोशी और भक्तजन पंडित लोग आते हैं और वहां पर परंपरागत रूप से मनाते हैं।
Shayari on Mahashivratri
महाशिवरात्रि हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है जो नए साल के बाद आता है। तीसरे महीने में यानी कि फाल्गुन मास की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं और इस त्यौहार को क्यों मनाया जाता है?इस बारे में जानने के लिए भगवान शिव का हमारा दूसरा पाठ है। वह पढ़ सकते हैं आप और इस दिन!पर आप अपने करीबियों को यह नीचे दिए गए मैसेज भेज सकते हैं जो की एक शायरी के रूप में है।
महादेव की बनी रहे आप परछाइयां आपकी तकदीर को आपको वह सब अपने जीवन में जो कभी किसी ने नहीं पाया
हैप्पी शिवरात्रि।
जिनकी रोम रोम में शिव हैं, वही विष पिया करते हैं जमाना उन्हें क्या जलाएगा जो संगर ही अंगार से करते हैं। ओम नमः शिवाय
शिवरात्रि की शुभकामनाएं।
सभी भक्तों को महाशिवरात्रि की बहुत-बहुत बधाइयां ओम नमः शिवाय, जय महाकाल महादेव।
शिवरात्रि की शुभकामनाएं।
दिखावे की मोहब्बत से दूर रहता हूं। इसीलिए महाकाल की हो नशे में चूर रहता हूं।हर-हर महादेव जय जय शंभू।
शिवरात्रि की शुभकामनाएं।
कॉल भी उसका क्या बिगड़ेगा आज बंदे के ऊपर महाकाल का हाथ हो हर हर महादेव!
शिवरात्रि की शुभकामनाएं।
महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर शिव और शक्ति के मिलन की हार्दिक बधाइयां।
शिवरात्रि की शुभकामनाएं।
माया को चाहने वाला बिखर जाता है और वही महादेव को चाहने वाला निखर जाता है। हैप्पी महाशिवरात्रि!
शिवरात्रि की शुभकामनाएं।
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