Makar Sankranti, How is Makar Sakranti celebrated in different states?
अलग-अलग राज्य में कैसे मनाई जाती है मकर सक्रांति
मकर संक्रांति हिंदू धर्म का पहला पर्व है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस पर्व को लगभग पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। परंतु इसे दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से, उत्तर भारत में लोहड़ी या मगह बिहु के नाम से और बिहार और पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति सभी जगह अलग अलग नाम से किया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन लोग विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ स्नान करते हुए सूर्य भगवान की पूजा करते हैं और उन्हें धन, समृद्धि और सौभाग्य की कामनाएं करते हैं। इस दिन केसरिया खजूर और तिल गुड़ के लड्डू और खिचड़ी जैसी स्वादिष्ट खाने की परंपरा भी होती है।
चूंकि मकर संक्रांति का दिन सूर्योदय के साथ आता है, इसलिए इसे ‘उत्तरायण’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व हमें सूर्य के महत्त्व पर ध्यान देने और संरक्षण करने की अनुमति देता है। इसलिए इस मकर संक्रांति पर्व को मनाकर हम सूर्य के प्रकाश को सुरक्षित रखने के लिए अपने कर्तव्य को पूरा कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश की मकर संक्रांति
देश के अन्य क्षेत्रों की तरह ही खासी महत्वपूर्ण है। इस दिन के उत्सव को उत्तराखंड में मगह बिहू और पंजाब में लोहड़ी के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन उत्तर प्रदेश में कोल्हू का गुड़ बनाने की खास परंपरा है। इस दिन उत्तर प्रदेश के किसान दिन भर खेत में काम करते हैं और संगीत, नृत्य और खाने की खुशियां मनाते हैं। इस दिन सूर्य देवता को भी बड़ी पूजा की जाती है और ढेर सारे प्रसाद बांटे जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में हमेशा से मकर संक्रांति का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। लोग इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और एक दूसरे के साथ खुशियां मनाते हैं। इस दिन लोग संगीत और नृत्य करते हैं और बेसन और चावल के पकवान बनाते हैं। यह त्योहार उत्तर प्रदेश की हिंदू परंपराओं का महत्वपूर्ण एवं रंगीन अंग है जो संतृप्ति और समृद्धि का प्रतीक होता है।
पंजाब-हरियाणा में मकर संक्रांति
को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग मिट्टी के उत्तम और सुखद लड़ू बनाते हैं और उन्हें बादाम और खजूर से भर कर उनके दोस्तों और परिवार के साथ मिलाते हैं। इस दिन लोग उन्हें “तिल गुड़ खाये, पतंग उड़ाये” कहकर बधाई देते हैं। लोगों को इस दिन किसी भी काम को करने से पहले सूर्योदय के समय उठना चाहिए और सूर्य को पूजना चाहिए।
मकर संक्रांति के दिन कोतहड़ी मेले और लोहड़ी मेले आयोजित किए जाते हैं। लोग इन मेलों में खेल और भोजन का आनंद लेते हैं। इस दिन स्नेह और भाईचारे का माहौल होता है। मकर संक्रांति लोगों के लिए नए शुभारंभ का दिन होता है और इसे इस तरह से मनाना उनकी परंपरा है।
राजस्थान और गुजरात में, मकर संक्रांति
मकर संक्रांति एक धार्मिक त्यौहार है जो पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार सूर्य के उत्तरायण (मकर राशि) को दर्शाता है।
राजस्थान और गुजरात में, मकर संक्रांति को किसी खास रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग परम्परागत रूप से उत्साह और खुशी से भरे होते हैं। पूरे राजस्थान में मकर संक्रांति के दिन के लिए विभिन्न मेले और मंदिरों में पूजा की जाती है। लोग घरों में मिठाई बनाते हैं और उन्हें अपने दोस्तों और परिवार सदस्यों के साथ बांटते हैं।
गुजरात में, मकर संक्रांति को “उत्तरायण” के रूप में जाना जाता है। यह दिन परंपरागत रूप से दान-दानत के रूप में मनाया जाता है। उस दिन लोग पूजा और संगीत का आनंद लेते हैं। वे लोग में संवाद को बढ़ाने के लिए मिठाई और उत्साह बढ़ाते हैं। मकर संक्रांति राजस्थान और गुजरात में विभिन्न तरीकों से मनाई जाती है, इसलिए इसे देखना और उससे भाग लेना खुशी की बात है।
हिमाचल और उत्तरखंड की मकर संक्रांति
रूप में मनाने के लिए लोग पूर्व से ही तैयारी करते हैं। यह त्योहार सूर्य के उत्तरायण से पहले मनाया जाता है और वर्ष की पहली मंगलवार को मनाया जाता है। हिमाचल प्रदेश में यह त्योहार छेड़खानी, काग सड़क, शब्बी, पंगुरु और खीचड़ी के खाने के साथ मनाया जाता है।
उत्तराखंड में इस त्योहार को गुजिया, जोशी महाराज उत्सव, बनका मेला, सुन्दरीखाल मेला और मुक्काक मेला से मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान लोग स्नान लेते हैं, इबादत करते हैं और अपनी उन्नति के लिए प्रार्थनाएं करते हैं। आमतौर पर, लोग एक दूसरे को सूर्य के उत्तरायण की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। इस तरह से मकर संक्रांति पूर्वोत्सव के रूप में मनाया जाता है जो अनेकता में एकता का प्रतीक होता है।